GANESH VISARJAN


  दोस्तों गणेश जी का विसर्जन आने को है लोगो में बहुत उत्साह उभर कर बाहर आ रहा है , लोगो में गणेश जी की आस्था बहुत है गणेश जी के इस दस दिन के महा उत्सव को लोग बड़ी धूम धाम से मनाते है ,और उनकी प्रतिमा को नदी या बड़े पोखरों में विसर्जन करते है , 













       




  























   







            

 दोस्तों गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करते समय हमारे नवजवान कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो जाते है। लोगो को दिखाने  के चक्कर में अपना  आपा खो देते है, और पानी के बीचो बिच जाने की कोसिस करते है जिसते काफी बड़े हादसे हो जाते है ,और यह  उत्सव शोक में बदल जाता है ,
हमारे आस पास ऐसे कई खबर हमें सुनने को मिलती है। जिसे सुनकर बहुत दुःख होता है आप सभी नम्र निवेदन है की विसर्जन के दौरान थोड़ा सावधानी रखे और हमारे नौजवान बच्चे  थोड़ा अपने आप पर काबू रखे। 

गणेश विसर्जन :-

जिस तरह से गणेश चतुर्थी को लोग गणेशजी की प्रतिमा को अपने घर लेकर आते है उसी तरह से अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की प्रतिमा का  विसर्जन करते है।  इस साल  2 सितम्बर 2019  से गणेशोत्सव का प्रारम्भ हो रहा है और 12  सितम्बर 2019  को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इस दिन लोग बड़ी धूम धाम से ,नाच गाने के साथ डी.जे. बैंड बाजे के साथ गणेश जी को विदा करते है और अगले साल फिर से आने की कामना करते है 

 विसर्जन की विधि :

     विसर्जन के दिन परिवार के सारे सदस्य साथ में मिलकर गणेश जी पूजा आरती करते है ,गणेश जी को मोदक लड्डू का भोग लगाया जाता है तथा विसर्जन से पहले गणेश जी को नए वस्त्र पहनाये जाते है। गणेश जी को विदा करते समय उनसे प्रार्थँना करके भूल चूक हो उसके लिए क्षमा जरूर मांग लेनी चाहिए। एक साफ़ कपडे में सुपारी ,दूर्वा ,मिठाई और कुछ पैसे रखकर उसे गणेश जी के साथ बांध दे, पूजा से सम्बंधित सभी सामग्री गणेश जी के  साथ  पानी में विसर्जित कर देनी चाहिए। 

विसर्जन के नियम :-   

     विसर्जन का यह नियम है कि आप किसी भी देवी देवता की प्रतिमा को नदी ,तालाब या किसी कुंड में विसर्जित करते है। 
कुछ बड़े बड़े शहरों में नदी तालाब की समस्या होती है तो वहां  पर गड्ढे  खोद कर  उसमे विसर्जित करते है। अगर गणेश जी की प्रतिमा छोटी 
हो तो आप चाहे तो किसी बड़े बर्तन में भी पानी भर कर उसमे विसर्जित कर सकते है पर ध्यान रहे कि  उस बर्तन को किसी का पैर  न लगे और उस बर्तन के पानी को किसी गमले में डाल देना चाहिए। 
       



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