ASHTHAMA kya hai., asthma ke gharelu upchar

अस्थमा क्या है ?

                        
                          
                     श्वास  नली  में बलगम  जमा हो जाने के कारण स्वास  नली सख्त हो जाती है और उसमे सूजन आ जाती है जिससे श्वास लेने में जो तकलीफ होती है। उसे ही अस्थमा कहते है। 
 अस्थमा एक एलर्जेटीक बीमारी है ,जो मौसम बदलने के कारण जो धुल मिटटी उड़ती है उसमे कीटाणु होते है 
वही कीटाणु हमारे स्वास लेते समय  बॉडी  के अंदर चले जाते है और फेफड़ो में चिपक जाते है जिससे श्वासनली में सूजन आ जाती है और स्वास लेने में तकलीफ होती है।                                                   

अस्थमा के लक्षण :-

  • साँस फूलना 
  • छाती में बलगम जमा हो जाना
  • बार बार खांसी का आना 
  • खासते समय बलगम ना  निकलना 
ये सारे  बलगम के लक्षण है। 

अस्थमा से बचाव :-

 अस्थमा से बचने के लिए  सबसे पहले धुल मिटटी  या प्रदूषण वाली जगह से अपने आप  को बचाये ,धुल  बचने के लिए अपने मुँह पर मॉस या रुमाल  बांध कर रखे ,सिगरेट के धुएं से भी बचे।
  •  धुल  से बचे 
  • मुँह पर रुमाल बांध कर रखे 
  • सिगरेट के धुएं से बचे 
  • केमिकल वाले कलर से दूर रहे 
  • बॉडी स्प्रे से दूर रहे 
  • अगरबत्ती ,मच्छर भागने वाले कोइल से भी दूर रहे 
  • कोल्ड ड्रिंक्स  और फ्लेवर युक्त खाने से बचे 

अस्थमा के प्रकार :-

अस्थमा के प्रकार 
  • एलर्जिक अस्थमा ,
  • नॉनएलर्जिक अस्थमा,
  •  मिक्सड अस्थमा,
  •  एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा
  •  कफ वेरिएंट अस्थमा
  •  ऑक्यूपेशनल अस्थमा 
  • नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा

एलर्जिक अस्थमा:-

   एलर्जिक अस्थमा के दौरान आपको किसी चीज से एलर्जी है जैसे धूल-मिट्टी के संपर्क में आते ही आपको दमा हो जाता है या फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही आप दमा के शिकार हो जाते हैं। कुत्ते बिल्ली से भी कुछ  एलर्जी होती है। 

नॉनएलर्जिक अस्थमा:-

     इस तरह के अस्थमा का कारण किसी एक चीज की मात्रा अधिक  होने पर होता है। जब आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत तेज-तेज हंस रहे हो, आपको बहुत अधिक सर्दी लग गई हो या बहुत अधिक खांसी-जुकाम हो। 

 मिक्सड अस्थमा:-

         इस प्रकार का अस्थमा किसी भी  कारणों से हो सकता है। कई बार ये अस्थमा एलर्जिक कारणों से  होता  तो कई बार नॉन एलर्जिक कारणों से। इतना ही नहीं इस प्रकार के अस्थमा के होने के कारणों को पता लगाना भी थोड़ा मुश्किल होता है।
 कफ वेरिएंट अस्थमा

 एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा:-

कई लोगों को एक्सरसाइज या फिर अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं तो वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं

 कफ वेरिएंट अस्थमा:-

        जब आपको लगातार कफ की शिकायत होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आता है तो आपको अस्थमा अटैक पड़ जाता है।

 ऑक्यूपेशनल अस्थमा :-

   ये अस्थमा अटैक अचानक काम के दौरान पड़ता है,  अपने कार्यस्थल का वातावरण सूट नहीं करता जिससे आप अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।

नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा:-

ये अस्थमा का ऐसा प्रकार है जो रात के समय ही होता है यानी जब आपको अकसर रात के समय अस्थमा का अटैक पड़ने लगे तो आपको समझ जाना चाहिए कि आप नॉक्टेर्नल अस्थमा के शिकार हैं।

अस्थमा से बचाव :-


  • अस्‍थमा का उपचार तभी संभव है जब आप समय रहते इसे समझ लें। 
  • अस्‍थमा के लक्षणों को जानकर इसके तुरंत निदान के लिए डॉक्‍टर के पाए जाएं।
  •  अस्‍थमा के उपचार के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर हो सकती हैं। 
  • अस्‍थमा से निपटने के लिए आमतौर पर इन्‍हेल्‍ड स्‍टेरॉयड (नाक के माध्‍यम से दी जाने वाली दवा) और अन्‍य एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं अस्‍थमा के लिए जरूरी मानी जाती हैं।
  •  इसके अलावा ब्रोंकॉडायलेटर्स वायुमार्ग के चारों तरफ कसी हुई मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा से राहत दिलाते हैं 
  • अस्‍थमा इन्‍हेलर का भी इलाज के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसके माध्‍यम से फेफड़ों में दवाईयां पहुंचाने का काम किया जाता है।
  • धूम्रपान करने वाले व्‍यक्तियों से दूर रहें। घर को डस्‍ट फ्री बनाएं।  
  • योग के माध्‍यम से अस्‍थमा पर कंट्रोल किया जा सकता है। सूर्य नमस्‍कार, प्राणायाम, भुजंगासन जैसे योग अस्‍थमा में फायदेमंद होते हैं।
  • घर से बाहर निकलने पर मास्‍क साथ रखें। यह प्रदूषण से बचने में मदद करेगा। 
  •  सर्दी के मौसम में धुंध में जानें से बचें।
  • हमेशा गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें। 
  •  अस्‍थमा के मरीजों का खानपान भी बेहतर होना चाहिए। अस्‍थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। 
  • कोल्‍ड ड्रिंक, ठंडा पानी और ठंडी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • अंडे, मछली और मांस जैसी चीजें अस्‍थमा में हानिकारक होती है।  
  •  अस्‍थमा के मरीजो को आहार में हरी पत्‍तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। पालक और गाजर का रस अस्‍थमा में काफी फायदेमंद होता है।
  •  विटामिन ए, सी और ई युक्‍त खाद्य पदार्थ अस्‍थमा मरीजों के लिए लाभकारी होते हैं। एंटीऑक्‍सीडेंट युक्‍त फूड के सेवन से रक्‍त में आक्‍सीजन की मात्रा बढ़ती है।
  •  आहार में लहसुन, अदरक, हल्‍दी और काली मिर्च को जरूर शामिल करें, य‍ह अस्‍थमा से लड़ने में मदद करते हैं। 

अस्थमा के घरेलु उपचार :-

अस्थमा से निपटने के लिए हमारे  घर के रसोई में ही उपयोग में ली जाने वाली खाद्य पदार्थ से घरेलु उपचार बनाकर काफी हद तक इलाज कर सकते है। 
  • लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।
  •  अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।
  •  सुबह और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।
  •  दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है।
  •  4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।  
  • 180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।
  •  अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मेथी के काढ़े और थोड़ा  शहद इस मिश्रण में मिलाएं। दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है। 
  • मेथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सुबह-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है। 



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