शरीर को अंदर से साफ़ कैसे करे ,How to detox our body.



शरीर को अंदर से साफ़ कैसे करे

शरीर को( Detox) अंदर से साफ़ कैसे करे :-

                            हम लोग खाने की चीजों को चाहे कितना भी पानी से धो ले लेकिन अनाज ,सब्जी और फलो में फिरभी जहरीले तत्त्व मौजूद रहते है। दूध से लेकर हर खाने  की चीजों में  मिलावट हो रही है।
इसके अलावा  प्रदूषण और धूम्रपान से हमारा शरीर   और भी ख़राब होता जा रहा है।
            ऐसे में हमारे शरीर के अंदर इतनी मात्रा में जहरीले पदार्थ जमा हो चुके हैं जो आपको कभी भी बीमार बना सकते हैं। इन बीमारियों से बचने का एक सीधा और सरल उपाय है शरीर को डिटॉक्स यानि जहरीले पदार्थों से मुक्त करना।  हालांकि, डॉक्टरी प्रक्रिया में दवाओं का सहारा लिया जाता है, लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं... जिनमें कुदरती ऐसे गुण हैं जो धीरे-धीरे आपके शरीर से सारे जहरीले पदार्थ बाहर कर देते हैं।
 गर्मी का मौसम इस प्रक्रिया के लिए सबसे बेहतर होता है, क्योंकि इस मौसम में शरीर तेजी से डिटॉक्स होता है और आपको इसका ज्यादा फायदा मिलता है।
   
 कई सालो से आयुर्वेदिक पद्धति से शरीर के अंदर की सफाई की जा रही है। शरीर के अंदर के विषैले पदार्थ को निकालने के लिए जरूरी है अच्छा भोजन खाये ,रोज व्यायाम करे। 
शरीर के अंदर विषैले पदार्थ रहने से  थकन ,आलस ,कमजोरी, पेट दर्द , सर दर्द आदि  बीमारिया होने लगती है। इस लिए जरूरी है की आप पौस्टिक आहार ले  जिससे बीमारियों से  राहत हो ,इसके अलावा  योग और व्यायाम से  शरीर  स्वस्थ रख सकते है।

   Detox क्या होता है :-

      डेटॉक्स  का अर्थ होता है खून  की सफाई, लिवर  में मौजूद रक्त को शुद्ध करके विषैले पदार्थ को  बाहर निकलना ,शरीर आंतो ,फेफड़ो ,और त्वचा  माध्यम से  पदार्थ  बाहर निकलता है। 

डेटॉक्स की कमी के लक्षण :-

  • सुस्त होना 
  • पेट फूलना 
  • थकन  लगना 
  • त्वचा सम्बंधित रोग 
  • आँखों  निचे सूजन 
  • एलर्जी 
  •  मासक धर्म में प्रॉब्लम 
  • मानसिक प्रॉब्लम 
  • छाती में दर्द होना   
                      शरीर को डिटॉक्स करते समय काफी सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि इससे अधिक भूख लगने और खाना पचने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
 इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे, जिससे आप प्राकृतिक तरीके से शरीर को डिटॉक्स करके अपच, पेट फूलना और तनाव जैसी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।


      एलोवेरा जूस :-


                                                                                                                                             

    एलोवेरा जूस  बॉडी डेटॉक्स के लिए बहुत बढ़िया पदार्थ है , एलोवेरा में   Laxative   और   anti  inflamatory properties   पाई जाती है। इसे पीने  से शरीर में भोजन को पचाने वाले बक्टेरिया की संख्या बढ़ती है  जिससे खाना आसानी से पच जाता है  एलोवेरा में fiber  की  संख्या अधिक मात्रा में होने से यह शरीर में जमा होने  वाले fat  को रोकता है  और साथ में शरीर के Imminuty सिस्टम को मजबूत बनाता  है।     पाचन तंत्र मजबूतऔर हेल्थी  स्किन पाना चाहते  तो  एलोवेरा जूस अपने  भोजन में जरूर शामिल करे।

     गेहू की घास ( Wheat Grass ):-

     गेहू के घास का रस यानि WheatGrass juice 

 पोषक तत्वों का भण्डार है।  इसके अंदर विटामिन C , 
विटामिन V , 90  अलग अलग प्रकार के मिनरल्स  ,बीटा  कैरोटीन  और 18  एमिनोएसिड  पाए जाते है। 
आयरन की मात्रा इसमें पालक से भी
ज्यादा पाई जाती है 70 % क्लोरोफिल
पाया जाता है।  हफ्ते  में 3  बार  इसका सेवन करने से खून तेजी से साफ़ होता है और लिवर की समस्या भी दूर होती है  .लगातार  सेवन  से ब्लड फ्लो  बेहतर बना रहता है  तथा चेहरे के दाग धब्बे  और कालापन दूर होता जाता है।  शरीर का वजन ज्यादा  बढ़ा  हुआ  हो तो  WheatGrass juice   का निम्बू के साथ   सेवन करे। 
 whear grass उगाने क लिए  कोई भी मिटटी के गमले  में कुछ गेहूं  के दाने  को  डाल  दे , कुछ दिनों में गेहू  का घास उगने लगेगा , उस घास को काट ले और अच्छी तरह से पीस  ले ,

  • गेहू  की कुछ पत्तियों को जड़ से काट ले और उसे पानी से अच्छी तरह से  धो ले , अच्छी तरह से कूट कूट कर  इसका रस निकाल ले। 
  • आप जूस निकालने वाली मशीन से भी Wheat  grass  juice   सकते है। 
  • रस निकालने  के बाद इसे रखे नहीं तुरंत पी ले और ध्यान रहे की इसे चाय की तरहसिप सिप कर ही पिए 
  • जूस निकालने के बाद इसमें ऑवला ,नीम ,गिलोय। शहद ,तुलसी  अदरक भी डाल  सकते है। 
  • इसमें आप थोड़ा सा पानी भी मिला सकते है। और ध्यान रहे की इसमें निम्बू   नमक   न मिलाएं 

चुकंदर (Beet Root ):-

 


                  चुकंदर  यानि  Beet  Root  डेटोक्सिफिकेशन  के लिए काफी फायदे मंद माना जाता है। चुकंदर  के  अंदर कल्शियम ,आयरन ,पोटेसियम ,मैग्नीशियम ,विटामिन C ,फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा  पाया जाता है। प्रति  दिन  एक या दो गिलाश चुकंदर  का  रस  पिने से  लिवर स्वस्थ रहता है और शरीर ,में  खून की कमी 
 होती है। 


भोजन  के साथ रोज सलाद में चुकंदर   शामिल किया जाये तो यह भोजन को पचाने में काफी मदद करता है। 
और साथ में चर्बी को रोकने में भी  मदद करता है। 




नारियल पानी (Coconut water ):-

      नारियल पानी शरीर में  जमे विषैले पदार्थो को सबसे जल्दी  बाहर  निकालता  है  .ताज़े नारियल के अंदर  मौजूद electrolight  और Antioxident  शरीर के अंदरूनी सिस्टम  को पुरी तरह  करते है तथा शरीर के अंदर जमे टोक्सिन   बाहर निकलते है। 


                                                             
    इन सभी के अलावा शरीर को डेटॉक्स करने  के लिए हमारी लाइफ स्टाइल में  बदलाव लाना होगा ,
रोजाना 30  से 35  मिनट योग ,व्यायम  या वॉक  करने से भी शरीर  के अंदर से टॉक्सिन्स बाहर  निकलते है
रेगुलर वर्क आउट  हमारे स्वास्थ के साथ साथ  हमारी  त्वचा और ब्रेन  को निखारता है। ज्यादा   से ज्यादा  पानी पीने  के आदत डाले। शरीर में पानी के कमी टॉक्सिन्स को बढ़ाता है                                                                 .

                                                                                                                                                                               
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जानिए अस्थमा  के बारे में, अस्थमा क्या होता है  उपाय और लक्षण                                                                        
  https://wellbloom.blogspot.com/2019/09/ashthama-kya-hai-asthma-ke-gharelu.html


बेस्ट हेल्थ टिप्स ,
                                                                                                                                                                https://wellbloom.blogspot.com/2019/09/best-20-tips-for-active-health.html 
                                                                                                                                                                             स्वा स्थ्य  दिन चर्या
https://wellbloom.blogspot.com/2019/08/blog-post.html                                                                                                                                                                                                             

ASHTHAMA kya hai., asthma ke gharelu upchar

अस्थमा क्या है ?

                        
                          
                     श्वास  नली  में बलगम  जमा हो जाने के कारण स्वास  नली सख्त हो जाती है और उसमे सूजन आ जाती है जिससे श्वास लेने में जो तकलीफ होती है। उसे ही अस्थमा कहते है। 
 अस्थमा एक एलर्जेटीक बीमारी है ,जो मौसम बदलने के कारण जो धुल मिटटी उड़ती है उसमे कीटाणु होते है 
वही कीटाणु हमारे स्वास लेते समय  बॉडी  के अंदर चले जाते है और फेफड़ो में चिपक जाते है जिससे श्वासनली में सूजन आ जाती है और स्वास लेने में तकलीफ होती है।                                                   

अस्थमा के लक्षण :-

  • साँस फूलना 
  • छाती में बलगम जमा हो जाना
  • बार बार खांसी का आना 
  • खासते समय बलगम ना  निकलना 
ये सारे  बलगम के लक्षण है। 

अस्थमा से बचाव :-

 अस्थमा से बचने के लिए  सबसे पहले धुल मिटटी  या प्रदूषण वाली जगह से अपने आप  को बचाये ,धुल  बचने के लिए अपने मुँह पर मॉस या रुमाल  बांध कर रखे ,सिगरेट के धुएं से भी बचे।
  •  धुल  से बचे 
  • मुँह पर रुमाल बांध कर रखे 
  • सिगरेट के धुएं से बचे 
  • केमिकल वाले कलर से दूर रहे 
  • बॉडी स्प्रे से दूर रहे 
  • अगरबत्ती ,मच्छर भागने वाले कोइल से भी दूर रहे 
  • कोल्ड ड्रिंक्स  और फ्लेवर युक्त खाने से बचे 

अस्थमा के प्रकार :-

अस्थमा के प्रकार 
  • एलर्जिक अस्थमा ,
  • नॉनएलर्जिक अस्थमा,
  •  मिक्सड अस्थमा,
  •  एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा
  •  कफ वेरिएंट अस्थमा
  •  ऑक्यूपेशनल अस्थमा 
  • नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा

एलर्जिक अस्थमा:-

   एलर्जिक अस्थमा के दौरान आपको किसी चीज से एलर्जी है जैसे धूल-मिट्टी के संपर्क में आते ही आपको दमा हो जाता है या फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही आप दमा के शिकार हो जाते हैं। कुत्ते बिल्ली से भी कुछ  एलर्जी होती है। 

नॉनएलर्जिक अस्थमा:-

     इस तरह के अस्थमा का कारण किसी एक चीज की मात्रा अधिक  होने पर होता है। जब आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत तेज-तेज हंस रहे हो, आपको बहुत अधिक सर्दी लग गई हो या बहुत अधिक खांसी-जुकाम हो। 

 मिक्सड अस्थमा:-

         इस प्रकार का अस्थमा किसी भी  कारणों से हो सकता है। कई बार ये अस्थमा एलर्जिक कारणों से  होता  तो कई बार नॉन एलर्जिक कारणों से। इतना ही नहीं इस प्रकार के अस्थमा के होने के कारणों को पता लगाना भी थोड़ा मुश्किल होता है।
 कफ वेरिएंट अस्थमा

 एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा:-

कई लोगों को एक्सरसाइज या फिर अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण अस्थमा हो जाता है तो कई लोग जब अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगते हैं तो वे अस्थमा के शिकार हो जाते हैं

 कफ वेरिएंट अस्थमा:-

        जब आपको लगातार कफ की शिकायत होती है या खांसी के दौरान अधिक कफ आता है तो आपको अस्थमा अटैक पड़ जाता है।

 ऑक्यूपेशनल अस्थमा :-

   ये अस्थमा अटैक अचानक काम के दौरान पड़ता है,  अपने कार्यस्थल का वातावरण सूट नहीं करता जिससे आप अस्थमा के शिकार हो जाते हैं।

नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा:-

ये अस्थमा का ऐसा प्रकार है जो रात के समय ही होता है यानी जब आपको अकसर रात के समय अस्थमा का अटैक पड़ने लगे तो आपको समझ जाना चाहिए कि आप नॉक्टेर्नल अस्थमा के शिकार हैं।

अस्थमा से बचाव :-


  • अस्‍थमा का उपचार तभी संभव है जब आप समय रहते इसे समझ लें। 
  • अस्‍थमा के लक्षणों को जानकर इसके तुरंत निदान के लिए डॉक्‍टर के पाए जाएं।
  •  अस्‍थमा के उपचार के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर हो सकती हैं। 
  • अस्‍थमा से निपटने के लिए आमतौर पर इन्‍हेल्‍ड स्‍टेरॉयड (नाक के माध्‍यम से दी जाने वाली दवा) और अन्‍य एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं अस्‍थमा के लिए जरूरी मानी जाती हैं।
  •  इसके अलावा ब्रोंकॉडायलेटर्स वायुमार्ग के चारों तरफ कसी हुई मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा से राहत दिलाते हैं 
  • अस्‍थमा इन्‍हेलर का भी इलाज के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसके माध्‍यम से फेफड़ों में दवाईयां पहुंचाने का काम किया जाता है।
  • धूम्रपान करने वाले व्‍यक्तियों से दूर रहें। घर को डस्‍ट फ्री बनाएं।  
  • योग के माध्‍यम से अस्‍थमा पर कंट्रोल किया जा सकता है। सूर्य नमस्‍कार, प्राणायाम, भुजंगासन जैसे योग अस्‍थमा में फायदेमंद होते हैं।
  • घर से बाहर निकलने पर मास्‍क साथ रखें। यह प्रदूषण से बचने में मदद करेगा। 
  •  सर्दी के मौसम में धुंध में जानें से बचें।
  • हमेशा गर्म या गुनगुने पानी का सेवन करें। 
  •  अस्‍थमा के मरीजों का खानपान भी बेहतर होना चाहिए। अस्‍थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। 
  • कोल्‍ड ड्रिंक, ठंडा पानी और ठंडी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। 
  • अंडे, मछली और मांस जैसी चीजें अस्‍थमा में हानिकारक होती है।  
  •  अस्‍थमा के मरीजो को आहार में हरी पत्‍तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। पालक और गाजर का रस अस्‍थमा में काफी फायदेमंद होता है।
  •  विटामिन ए, सी और ई युक्‍त खाद्य पदार्थ अस्‍थमा मरीजों के लिए लाभकारी होते हैं। एंटीऑक्‍सीडेंट युक्‍त फूड के सेवन से रक्‍त में आक्‍सीजन की मात्रा बढ़ती है।
  •  आहार में लहसुन, अदरक, हल्‍दी और काली मिर्च को जरूर शामिल करें, य‍ह अस्‍थमा से लड़ने में मदद करते हैं। 

अस्थमा के घरेलु उपचार :-

अस्थमा से निपटने के लिए हमारे  घर के रसोई में ही उपयोग में ली जाने वाली खाद्य पदार्थ से घरेलु उपचार बनाकर काफी हद तक इलाज कर सकते है। 
  • लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।
  •  अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।
  •  सुबह और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।
  •  दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है।
  •  4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।  
  • 180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।
  •  अदरक का एक चम्मच ताजा रस, एक कप मेथी के काढ़े और थोड़ा  शहद इस मिश्रण में मिलाएं। दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है। 
  • मेथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सुबह-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है। 



siddhi vinayak gujarat




सिद्धि विनायक


सिद्धि विनायक मंदिर :-

     सिद्धि विनायक मंदिर गुजरात के खेड़ा जिले के महेमदाबाद में स्थित है। यह मंदिर बहुत ही आकर्षक है ,इस मंदिर की बनावट  भगवान गणेश की छबि  के रूप में बनाया गया है ,जो लोगो को बहुत आकर्षित करता है।  वैसे तो गुजरात में  बहुत सारे मंदिर है जैसे सोमनाथ ,अम्बाजी ,पावागढ़ ,अक्षरधाम लेकिन अब सिद्धि विनायक मंदिर देश का सबसे विशाल मंदिर गिना जाता है।  अहमदाबाद से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर  वात्रक नदी के किनारे यह मंदिर बनाया गया है ,यह मंदिर बच्चो के पिकनिक के लिए भी बहुत बढ़िया स्थान है। 

मंदिर की स्थापना :-    

               सिद्धि वियनायक मंदिर की स्थापना(भूमि पूजन) 9 March 2011 दिन बुधवार (Wednesday ) को हुआ था। मंदिर के संचालक श्री नरेंद्र भाई  पुरोहित ने मंदिर का निर्माण  करवाया था, मंदिर में मुंबई के 'सिद्धिविनायक मंदिर' से लाई गई ज्योत की स्थापना की गई है और इसीलिए मंदिर का नाम भी ‘सिद्धिविनायक’ रखा गया है। 

         मंदिर का निर्माण स्थल कुल 6 लाख स्कवेयर फ़ीट में बना हुआ है। गणपति के आकार का यह मंदिर जमीन से 20 फीट की  ऊंचाई पर निर्मित है, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना जमीन से 56 फीट की ऊंचाई पर की गई है।

 मंदिर का निर्माण स्थल :-

निर्माण स्थल :-6 लाख स्कवेयर फ़ीट 

लम्बाई        :- 120 फ़ीट 

ऊचाई         :-71 फ़ीट 

चौड़ाई         :-80 फ़ीट 

मंदिर का कुल खर्च :-

   मंदिर को बनवाने में कुल लगभग 14 करोड़ रुपये की लागत का खर्च हुआ था।
  

 मंदिर की व्यवस्थाएं :-

  • मंदिर में जाने के लिए सीढ़ियों के साथ लिफ्ट की व्यवस्था है। 
  • विशाल  पार्क और फुहारे की व्यवस्था
  • विशाल वाहन पार्किंग की व्यवस्था जिसमे 50 बसे,500 कारे और 2000  भी ज्यादा 2 व्हीलर पार्क हो सकेंगे। 
  • मंदिर के बीचो बिच स्वस्तिक आकार के फूलो के बगीचे बनाये गए गए है। 
  • मंदिर के दाहिने तरफ विशाल कैंटीन की व्यवस्था है। 
  • मंदिर के बाये तरफ होटल  की व्यवस्था है जिसमे AC  और NON AC  कमरे है 
  • बच्चो के खेलने  के लिए खेल क्रीड़ा की व्यवस्था 
मंदिर के अन्य फोटो :- 
                    मंदिर के अंदर गणेश जी की मूर्ति के साथ उनके कई   
और भी कई सारे  रूपों के दर्शन देखने को मिलते है अलग अलग देशो में 
गणेश जी को किस नाम से पुकारते है वह सारी तस्वीरें वहां देखने को मिलता है। 
  



















GANESH VISARJAN


  दोस्तों गणेश जी का विसर्जन आने को है लोगो में बहुत उत्साह उभर कर बाहर आ रहा है , लोगो में गणेश जी की आस्था बहुत है गणेश जी के इस दस दिन के महा उत्सव को लोग बड़ी धूम धाम से मनाते है ,और उनकी प्रतिमा को नदी या बड़े पोखरों में विसर्जन करते है , 













       




  























   







            

 दोस्तों गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करते समय हमारे नवजवान कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो जाते है। लोगो को दिखाने  के चक्कर में अपना  आपा खो देते है, और पानी के बीचो बिच जाने की कोसिस करते है जिसते काफी बड़े हादसे हो जाते है ,और यह  उत्सव शोक में बदल जाता है ,
हमारे आस पास ऐसे कई खबर हमें सुनने को मिलती है। जिसे सुनकर बहुत दुःख होता है आप सभी नम्र निवेदन है की विसर्जन के दौरान थोड़ा सावधानी रखे और हमारे नौजवान बच्चे  थोड़ा अपने आप पर काबू रखे। 

गणेश विसर्जन :-

जिस तरह से गणेश चतुर्थी को लोग गणेशजी की प्रतिमा को अपने घर लेकर आते है उसी तरह से अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की प्रतिमा का  विसर्जन करते है।  इस साल  2 सितम्बर 2019  से गणेशोत्सव का प्रारम्भ हो रहा है और 12  सितम्बर 2019  को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इस दिन लोग बड़ी धूम धाम से ,नाच गाने के साथ डी.जे. बैंड बाजे के साथ गणेश जी को विदा करते है और अगले साल फिर से आने की कामना करते है 

 विसर्जन की विधि :

     विसर्जन के दिन परिवार के सारे सदस्य साथ में मिलकर गणेश जी पूजा आरती करते है ,गणेश जी को मोदक लड्डू का भोग लगाया जाता है तथा विसर्जन से पहले गणेश जी को नए वस्त्र पहनाये जाते है। गणेश जी को विदा करते समय उनसे प्रार्थँना करके भूल चूक हो उसके लिए क्षमा जरूर मांग लेनी चाहिए। एक साफ़ कपडे में सुपारी ,दूर्वा ,मिठाई और कुछ पैसे रखकर उसे गणेश जी के साथ बांध दे, पूजा से सम्बंधित सभी सामग्री गणेश जी के  साथ  पानी में विसर्जित कर देनी चाहिए। 

विसर्जन के नियम :-   

     विसर्जन का यह नियम है कि आप किसी भी देवी देवता की प्रतिमा को नदी ,तालाब या किसी कुंड में विसर्जित करते है। 
कुछ बड़े बड़े शहरों में नदी तालाब की समस्या होती है तो वहां  पर गड्ढे  खोद कर  उसमे विसर्जित करते है। अगर गणेश जी की प्रतिमा छोटी 
हो तो आप चाहे तो किसी बड़े बर्तन में भी पानी भर कर उसमे विसर्जित कर सकते है पर ध्यान रहे कि  उस बर्तन को किसी का पैर  न लगे और उस बर्तन के पानी को किसी गमले में डाल देना चाहिए। 
       



best 20 tips for active health

पुरे दिन भर एक्टिव कैसे रहे ?
क्या खाये क्या न खाये ?
ऐसे बहुत सरे सवाल हमारे मन में चलते रहते है।  दोस्तों हमारा स्वास्थ्य हमारे पैसो से जयादा कीमती है। अच्छी सेहत सबसे बड़ा खजाना  है
आधुनिक जीवन शैली की तेज रफ्तार एवं भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का विषय बहुत पीछे रह गया है और नतीजा यह निकला की आज हम युवावस्था में ही ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ह्रदय रोगाष्ठं]ashthama , कोलेस्ट्रोल, मोटापा, गठिया, थायरॉइड जैसे रोगों से पीड़ित होने लगे हैं जो कि पहले प्रोढ़ावस्था एवं व्रद्धावस्था में होते थे और इसकी सबसे बड़ी वजह है खान पान और रहन सहन की गलत आदतें, आओ हम सेहत के इन् नियमों का पालन करके खुद भी स्वस्थ रहे तथा परिवार को भी स्वस्थ रखते हुए अन्य लोगों को भी अच्छे स्वास्थय के लिए जागरूक करें ताकि एक स्वस्थ एवं मजबूत समाज और देश का निर्माण हो,क्योंकि कहा भी गया है-पहला सुख निरोगी काया

     

  •  रोज खूब सारा पानी पिएं और कैलोरी फ्री चीजें खाएं। 
  •  सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट जरूर करें। ब्रेकफास्ट न करने से कई बीमारियां होती हैं।
  •  रोज सुबह 30 मिनट व्यायाम जरूर करे। 
  • दिन भर में कुछ कुछ  थोड़ा थोड़ा  खाते रहें, खाने के बीच लंबा गेप नहीं होना चाहिए। 
  • कोशिश करें कि खाने में प्रोटीन जरूर हो। जैसे दूध ,दही छास 
  • खाने में मसालेदार चीजों को कम करें।
  •  खाने के दौरान लाल, हरे संतरी रंग की चीज जरूर लें।  जैसे गाजर, संतरा और हरी सब्जियों को शामिल करें। 
  •  वजन कम करना चाहते हैं तो खाने में नमक की मात्रा को कम करें।
  • वजन कम करना है तो रोज खाना खाने से पहले कम कैलोरी वाला वेजिटेबल सूप लेना चाहिए, इससे 20 फीसदी कम कैलोरी कम कंज्यूम होंगी और आपका पेट भरा-भरा रहेगा।
  •  कैलोरी काउंट को छोड़कर सिर्फ पोषक तत्वों के बैलेंस वाली डाइट लेनी चाहिए।
  •  खाने का रखें रिकॉर्ड, अपने रोज के खाने का रिकॉर्ड रखना चाहिए, जैसे आपने कितना खाना खाया और कितना पानी पिया। इसके लिए आप एप्प और फूड डायरी बना सकते हैं।
  •  आराम-आराम से खाना खाएं। रिसर्च की मानें तो जो लोग जल्दी खाना खाते हैं वो लोग मोटे हो जाते हैं। इसलिए आराम-आराम से खाना खाएं।
  •  समय पर करें डिनर और दिनभर में फ्रूट्स और वेजिटेबल्स जरूर खाएं।
  • दिन में डायट सोडा जैसी चीजें पीनें से बचें। 
  • खाने बनाते समय फैट का ध्यान रखें। खाने में ऑयल, बटर, चीड, क्रीम का इस्तेमाल कम से कम करें। 
  • . रात को डिनर के समय स्नैक्स खाने से बचें।
  • रात चीनी एवं नमक का अधिक मात्रा में सेवन ना करें,ये डायबिटीज,ब्लड प्रेशर,ह्रदय रोगों का कारण हैं l
    बादाम,किशमिश,अंजीर,अखरोट आदि मेवा सेहत के लिए बहुत लाभकारी होते हैं इनका सेवन अवश्य करेंके खाने में कार्बोहाइड्रेट न लें। दरअसल अगर कार्बोहाइड्रेट को सुबह-सुबह खाया जाए तो यह एक तरह से आपके शरीर के लिए इंधन का काम करता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों को रात को न लें।
  • डिनर के बाद कुछ न खाएं। इस मामले में इमानदार रहें और कोशिश करें कि रात के खाने के बाद फिर कुछ न खाएं।
  •  खाने को करें शेयर: लंच करते समय अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। ये कैलोरी चेक करने का अच्छा तरीका है। 
  • रात को पूरी नींद लें।


Ganesh chaturthi kyu manayi jati hai?/ganesh ka itihas

Ganesh chaturthi kyu manayi jati hai?/ganesh ka itihas

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है :-

     श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। इस साल गणेश 
चतुर्थी 2 सितम्बर 2019 दिन सोमवार से प्रारम्भ हो रहा है। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है।
गणेश चतुर्थी, जिसे विनायाक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भद्रा(मध्य अगस्त से मध्य सितंबर) में यह शुभ त्यौहार मनाया जाता है।  यह त्यौहार 10 दिनों तक रहता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है,

गणेश चतुर्थी की कहानी :-

    इस त्योहार के इतिहास से जुड़ी सभी कहानियों में से, सबसे अधिक प्रासंगिक भगवान शिव और देवी पार्वती से जुडी कहानी है। ऐसा  माना जाता है कि माता पार्वती गणेश की  निर्माता हैं। कहानी के अनुसार देवी  पार्वती ने चंदन के मिक्षण से  शिव की अनुपस्थिति में गणेश का निर्माण किया.पार्वती माता ने अपने शरीर के मैल  से गणेश जी का निर्माण किया था।  जब वह स्नान कर रही थी, तो उन्होंने गणेश को  अपने स्नानघर  के दरवाज़े की रक्षा करने का काम दिया और बिना अनुमति के किसी को भी अंदर आने की अनुमति ना  दे ,

शिवजी  के घर लौटने के बाद, गणेशजी  ने उन्हें  प्रवेश करने से रोक दिया जिसके कारण गणेश और शिवजी  के बीच युद्ध हो गया और गुस्से में शिव ने गणेश का सिर काट दिया.  यह देखकर माता पार्वती को  गुस्सा आ गया और और उन्होंने नवदुर्गा का रूप धारण कर सबका विनास करने लगी। तब शिवजी 
ने उन्हें गणेश जी फिर  जीवित करने का वचन दिया। और उन्होंने गणेश के धड़ पर गज का सर लगा दिया। और इसी तरह गजानन का जन्म हुआ।
और भगवन शंकर  गणेश जी को  सर्व प्रथम पूजे जाने का आशीर्वाद दिया।